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स्त्री पुरुष विवाह संस्कार के तहत तन और मन दोनों से एक दूसरे के हो जाते हैं. स्त्री पुरुष का शारीरिक संबंध बनाने को लेकर हम जानें कि किन तिथियों, अवसरों और जगहों पर किसी भी जोड़े को शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए.
नवरात्र के नौ दिनों में देवी मां की भक्ति में खुद को भक्त लीन रखते हैं. माता की आराधना करते हैं, पूरे नौ दिन या प्रथम और अंतिम दिवस पर व्रत का संकल्प भी करते हैं. ऐसे में ऐसी पवित्र तिथि व अवसर पर स्त्री-पुरुष को शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए. ऐसा करना महापाप होता है और जीवन में नकारात्मकाता आती है.
संक्रांति की तिथि पर यानि सूर्य के राशि परिवर्तन वाली तिथि पर पति-पत्नी या किसी भी प्रेमी जोड़े को संबंध नहीं बनाना चाहिए. ऐसा करना अशुभ माना जाता है. मान्यता है कि संक्रांति पर संबंध बनाने से कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, जिससे सम्मान में कमी होने लगती है.
शास्त्रों के अनुसार अमावस्या तिथि पर पति-पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए. दरअसल, अमावस्या तिथि पर बुरी शक्तियां उग्र होती हैं और ऐसे समय में शारीरिक संबंध बनाने से वैवाहिक जीवन में नकारात्मक आ सकती है. इस तिथि पर संबंध बनाने से जीवन में बुरी शक्तियों के प्रवेश की संभावना भी बढ़ सकती है.
पुराणों के अनुसार, किसी भी माह की चतुर्थी व अष्टमी तिथि पर पति-पत्नी को दूरी बरतनी चाहिए, यानी संबंध नहीं बनाना चाहिए. रविवार को भी शारीरिक संबंधों के लिए उचित दिन नहीं माना गया है.
श्राद्ध के समय पितरों की पूजा की जाती है और पंद्रह दिन तक पितरों की आत्मा की शांति के उपाय आदि किए जाते हैं. ऐसे समय में मन,तन कर्मवचन से अपने आप को शुद्ध रखने के लिए कहा जाता है. ऐसे में श्राद्ध या पितृ पक्ष में पति-पत्नी कभी भी शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए, न तो इस बारे में सोचना चाहिए.
शास्त्रों के अनुसार किसी भी व्रत पूजा के दौरान व्रती को ब्रह्मचर्य में रहना चाहिए. तभी व्रत या पूजा का शुभ फल प्राप्त होता है. ध्यान दें कि किसी नवजात के पास शारीरिक संबंध बनाना भी महापाप की श्रेणी में रखा गया है.
शारीरिक संबंध बनाने को लेकर वास्तु का भी ध्यान रखना चाहिए. जैसे वास्तु अनुसार किसी भी मंदिर परिसर में या मंदिर के आसपास की किसी जगह पर शरीरिक संबंध बनाना महापाप होता है. मान्यता है कि ऐसे जोड़े नर्क के भागी बनते हैं. दरअसल लोग मंदिर मन की शांति के लिए और भगवान की भक्ति में लीन होने जाते हैं ऐसे में इस तरह का कृत्य करना मंदिर व आसपास की जगह पर पूरी तरह से निषेध होता है.
हिंदू धर्म में अग्नि को साक्षात देवता माना गया है और अति पवित्र भी, सनातन धर्म में जितने भी शुभ कार्य किए जाते हैं उसमें अग्नि की विशेष भूमिका होती है. ध्यान दें कि विवाह जैसा पवित्र संस्कार भी अग्नि के सामने ही संपन्न होता है. ऐसे में मान्यता है कि अग्नि के पास शारीरिक संबंध बनाना जीवन में नकारात्मकता के प्रवेश का कारण बन सकता है. ऐसे जोड़े पाप के अधिकारी होते हैं.
वास्तु के अनुसार किसी नदी के पास शारीरिक संबंध बनाना विध्वंसकारी माना गया है. शास्त्रों में देखें तो ऋषि परासर और सत्यवती के इसी तरह के संबंध के कारण आगे चलकर महाभारत जैसे महायुद्ध का जन्म हुआ.
अगर कोई दंपती संतान प्राप्ति के निमित्त संबंध बनाता है तो उन्हें जगह और तिथि का विशेष ध्यान रखना चाहिए. वर्जित तिथि और जगहों पर कतई संबंध नहीं बनाना चाहिए. ऐसा करना भयानक हो सकता है. साथ ही संतान का स्वभाव पर भी इसका बुरा असर पड़ सकता है.